Raj Comics -KHOONI KHOJ
( Nagraj Comics )
आज मिर्जापुर, आश्रम जैसे सेमी पोर्न
web series और कॉन्डम के अल्ट्रा फूहड़ ads के जमाने में भले ही ये फ्रेम्स बचकाना लगें।
पर यकीन मानिए 1995 के साफ-पाक बचपन में जहां हममें से बहुतों को तो १०वीं के बाद पता चला कि बच्चे भगवान या परियां गोद में दे के नहीं जाती हैं 🫣
उस पवित्र कालखंड में नागराज की पहली कॉमिक्स ये पढ़ी और ये फ्रेम जैसे ही सामने आया, कनपटियाँ सुर्ख हो गईं, लगा कि जैसे क्या देख लिया हो।
हीरो की भावना तो निश्छल थी पर हमारा मन हिलोरे मारने लगा था।
नागराज का फैन बनाने का यह मुख्य कारण तो नहीं था पर हां, यह भी एक बड़ा पहलू था जो बार बार नागराज की याद दिलाने लगा था।
नागराज, एक ऐसा अल्फा मेल (हालांकि इस शब्द का आविष्कार उस वक्त नहीं हुआ था) जिसपर हर लड़की फिदा है पर वो एकदम सख्त लौंडा है (जाकिर खान की भाषा में)
बस ऐसा ही तो हीरो चाहिए था, इसलिए तो नागराज जो उस वक्त मन मंदिर में बैठा, आज तक निकल ही नहीं पाया और आज भी वही नागराज प्रेम इस पोस्ट को लिखवा रहा है और आपसे पढ़वा भी रहा है 😅
ये कॉमिक्स नागराज की जीवनी की सबसे क्रांतिकारी कॉमिक्स थी मेरी राय में, यहीं से नागराज के बाल स्नेक स्टाइल के हुए थे आगे से और यहां से प्रताप मुलीक, मिलिंद मुलीक जी ने नागराज का जो कायाकल्प किया, जो कहानियां आईं, जो आर्ट फ्रेम्स बने कि नागराज को फिर पीछे नहीं देखना पड़ा।
ये 1990-1995 के भारतीय कॉमिक्स के फ्रेम हैं जिनकी तुलना में आज भी के हिंदी/इंग्लिश भारतीय कॉमिक्स के कंटेंट और चित्र गोबर लगते हैं (लगभग सारे ही)।
इन फ्रेम्स को 1995 के हिसाब से निहारिए अगर आप उस समय के हैं या उस समय के बारे में अनुमान लगा सकते हैं
और फिर सोचिए कि क्या कॉमिक्स अभी भी आपकी नजर में केवल बच्चों के पढ़ने की चीज है?
...
फिर लिखूंगा.. अभी इस कॉमिक्स का आनंद ले रहा हूं।