Professor Ashwatthama: Rebirth of Ravana
प्रोफेसर अश्वत्थामा
- रावण का पुनर्जन्म
(Part 02)
इसके प्रथम भाग का हिंदी का अनुवाद करना मेरे जैसे पार्ट टाइमर यूट्यूबर/कॉमिक्स इनफ्लूएंसर के लिए एक यादगार अनुभव रहा और इससे जुड़े कड़वे- मीठे किस्से भी काफी कुछ जिंदगी में सिखा गए।
इस अनुभव से मेरी कलम ने कुछ अंग्रेजी पंक्तियां लिखीं, जो आप सब से यहां साझा करता हूं -
"We write superheroes, coz we wish to be one,
but we already know from deep down of our heart that we can't."
खैर,
पहले भाग का रिव्यू मैंने तब किया था जब यह एक raw project था और पाठकों के लिए उपलब्ध नहीं था।
इस प्रोजेक्ट से जुड़ने के बाद इसके हर एक पहलू में रात दिन की मेहनत से ना केवल हिंदी अनुवाद, बल्कि छोटी-छोटी चीजें जैसे कवर में कौन से सुधार बेहतर होंगे, किस तरह के फांट और किस तरह के/किस रंग के स्पीच बलून, क्रेडिट पेज कैसा हो और भी तमाम बारीकियों पर घंटों साहिल भाई से हुई चर्चाओं का मूर्त रूप है हिंदी का पहला अंक जिसे आप अगर पहले प्रिंट (डायमंड कॉमिक्स) से तुलना करें तभी आप मेरी बात से पूरी तरह सहमत हो सकेंगे।
इस अनुभव से मेरी कलम ने कुछ अंग्रेजी पंक्तियां लिखीं, जो आप सब से यहां साझा करता हूं -
"We write superheroes, coz we wish to be one,
but we already know from deep down of our heart that we can't."
खैर,
पहले भाग का रिव्यू मैंने तब किया था जब यह एक raw project था और पाठकों के लिए उपलब्ध नहीं था।
इस प्रोजेक्ट से जुड़ने के बाद इसके हर एक पहलू में रात दिन की मेहनत से ना केवल हिंदी अनुवाद, बल्कि छोटी-छोटी चीजें जैसे कवर में कौन से सुधार बेहतर होंगे, किस तरह के फांट और किस तरह के/किस रंग के स्पीच बलून, क्रेडिट पेज कैसा हो और भी तमाम बारीकियों पर घंटों साहिल भाई से हुई चर्चाओं का मूर्त रूप है हिंदी का पहला अंक जिसे आप अगर पहले प्रिंट (डायमंड कॉमिक्स) से तुलना करें तभी आप मेरी बात से पूरी तरह सहमत हो सकेंगे।
फिर जब इसका संपूर्ण रूप कॉमिक्स बाजार में आया तो उसका रिव्यू मेरे ही द्वारा किया जाना बेमानी होती।
पर इस भाग के लिए मैं स्वतंत्र था 😅 फिर भी मैंने आज रिव्यू के लिए ये पोस्ट लिख रहा हूं क्योंकि इस भाग के आर्टवर्क ने मुझे इतना निराश कर दिया था कि मैं पूरा पढ़ने की रुचि ला ही नहीं पा रहा था और यह भी नहीं चाहता था कि मेरे विचार पढ़कर कोई एक पाठक भी दूसरा अंक लेने का मन बदल ले।
अब क्योंकि इसके दूसरे अंक में मैं कोई रचनाकार नहीं, सिर्फ पूरी तरह से एक पाठक हूं तो चलिए, पढ़कर कैसी लगी प्रोफेसर अश्वत्थामा पार्ट 2, एक पाठक- इंडियन कॉमिक्स ट्यूबर को, वो आपसे साझा करता हूं।
कवर पृष्ठ - एक नजर में जो कवर देख के, मेरा जैसा पाठक कॉमिक्स उठा ले वो लगा मुझे हिंदी विशेषांक का कवर लगा जो मार्को मिखाल और दिलदीप जी ने बनाया है। पर इसमें मुझे, अपने प्रोफेसर की कमी खली। ना सिर्फ मुख्य कवर पर बैक कवर पर भी बेहतरीन काम है।
हालांकि, जो अंग्रेजी कवर जो सचिन कुमार और मार्को मिखाल ने बनाया है उसमें प्रोफेसर तो हैं पर मुझे प्रभावित ना कर सका, हां! मगर चंगेज खान के सिरों वाला भाग काफी अच्छा बना है उसमें कोई शक नहीं।
तो इस तरह, कवर्स के मामले में प्रभावित करने के हिसाब से पहले भाग से आगे निकल गया ये भाग।
कवर पेज पलटते ही क्रेडिट की भरमार मिल जाएगी, शर्मा जी ने सभी को प्यार भर के आभार प्रकट किया है जो उनकी विनम्रता दर्शाता है। इसी भीड़ में आपको मेरा नाम भी दिखेगा।
आगे पेज पलटते ही स्व.गुलशन राय जी के लिए एक श्रृद्धांजलि पेज है, जो वाकई होना चाहिए था। अगले पेज से ही प्रोफेसर अश्वत्थामा के फेसबुक पेज पर आयोजित फैन आर्ट प्रतियोगिता से चयनित दो आर्टवर्क हैं जो ये दर्शाते हैं कि साहिल शर्मा जी फैंस का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
कहानी शुरू करते हैं।
कहानी-
कहानी-
यही वो चीज है जो इस कॉमिक्स को आपके लिए "must have" / must read बनाती है। इंटरनेट और Ai के इस युग में जहां सब कुछ बेमानी और कॉपी किया हुआ लगता है यहां तक की बचपन की लगभग सारी राज कॉमिक्स की असली कहानियों की पोल गाहे बगाहे खुलती ही रहती है वहीं एक ऐसी कहानी जिसे हमारे इतिहास से जोड़कर गजब की कल्पनाशक्ति से बुना गया है वो जैसे जैसे आगे बढ़ रही है उसे पढ़ के ऐसा लगता है कि अगर ये कॉमिक्स 90 के दशक में में बने होते तो लोकप्रियता के सारे रिकार्ड तोड़ देते। जैसे-जैसे कहानी में आप खुद को खोता महसूस करते हैं वैसे वैसे आपकी कल्पनाचक्षु पटल पर एक गजब की साइंस फिक्शन फिल्म चलने लगती है जो James Cameron के फिल्मों के समकक्ष प्रतीत होती है।
खैर, जो नहीं सका उसकी बात छोड़, जो मिला है उसकी बात करते हैं। पिछले भाग की कहानी जहां जिस फ्रेम पर छोड़ी गई थी कहानी ठीक उसी फ्रेम से तो नहीं बढ़ती पर कहानी के तार जहां पिछले भाग में छूटे थे उसे पिरोते बढ़ती है तिब्बत से जहां एक मोनेस्ट्री जैसी दिखती है और वो रहस्यमयी गर्भवती महिला के ऊपर चंगेज खान aka रावण और उसके गुर्गे अटैक करते हैं, शायद अपहरण या उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने की मंशा से पर किसी बहुत खास की उपस्थिति भांप कर वहां से निकलने में ही अपनी भलाई समझते हैं (पढ़ कर जानिए कौन)
अगला फ्रेम अपने प्रोफेसर का है जो किसी अज्ञात स्थान पर बड़बड़िया डॉक्टर डीजे के साथ चंगेज खान aka रावण के साथ होने वाले मुठभेंड़ की तैयारी कर रहा है। अब यहां से को कहानी स्विच केरल के लिए होती है वो वह फ्रेम है जहां पहले भाग में कहानी छोड़ी गई थी। केरल में एक अज्ञात स्थान पर परशुराम से मदद मांगने कमांडर लेटनाइट आता है और यहां से रावण और परशुराम के बीच एक भयानक युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार होती है।
युद्ध में क्या होता है, कौन किस पर और कितना भारी पड़ता है और इस युद्ध में अपने प्रोफेसर कितनी हिस्सेदारी ले पाते हैं इन सब के जवाब के लिए आपको चुकाने होंगे 149₹ किंडल एडीशन के लिए या फिर पेपरबैक 299₹ के लिए जो आपको amazon पर उपलब्ध मिलेगा।
क्योंकि मेरी review हमेशा with spoilers ही होती है इसलिए कहानी के एक भाग की चर्चा करना जरूर चाहूंगा जो मुझे पसंद नहीं आया या कहूं उसे दूसरे तरीके से बनाना चाहिए था। जहां परशुराम और चंगेज खां aka रावण के युद्ध की शुरुआत होती है वहां समयास्त्र, थैनोस के गाउंटलेट और उसके प्रयोग से लोगों का तिनकों में बिखर जाना बिलकुल अवेंजर एंड गेम जैसा दिखाया गया है।
अगला फ्रेम अपने प्रोफेसर का है जो किसी अज्ञात स्थान पर बड़बड़िया डॉक्टर डीजे के साथ चंगेज खान aka रावण के साथ होने वाले मुठभेंड़ की तैयारी कर रहा है। अब यहां से को कहानी स्विच केरल के लिए होती है वो वह फ्रेम है जहां पहले भाग में कहानी छोड़ी गई थी। केरल में एक अज्ञात स्थान पर परशुराम से मदद मांगने कमांडर लेटनाइट आता है और यहां से रावण और परशुराम के बीच एक भयानक युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार होती है।
युद्ध में क्या होता है, कौन किस पर और कितना भारी पड़ता है और इस युद्ध में अपने प्रोफेसर कितनी हिस्सेदारी ले पाते हैं इन सब के जवाब के लिए आपको चुकाने होंगे 149₹ किंडल एडीशन के लिए या फिर पेपरबैक 299₹ के लिए जो आपको amazon पर उपलब्ध मिलेगा।
क्योंकि मेरी review हमेशा with spoilers ही होती है इसलिए कहानी के एक भाग की चर्चा करना जरूर चाहूंगा जो मुझे पसंद नहीं आया या कहूं उसे दूसरे तरीके से बनाना चाहिए था। जहां परशुराम और चंगेज खां aka रावण के युद्ध की शुरुआत होती है वहां समयास्त्र, थैनोस के गाउंटलेट और उसके प्रयोग से लोगों का तिनकों में बिखर जाना बिलकुल अवेंजर एंड गेम जैसा दिखाया गया है।
यहां पर रचयिता को कुछ अपना अनोखा और अलग ही बताना/बनाना चाहिए था पर अच्छी कहानी के बदले में इसे भी मैं हजम कर गया।
क्या हो अगर कोई पाठक कहे, इस बार हमें माफ कर दीजिए। इस बार किन्ही जायज दिक्कतों की वजह से आपकी कॉमिक्स के पूरे दाम नहीं चुका सकते इन्हे इस बार आधे से कम कीमत पर दे दें। क्या वास्तविकता के धरातल पर यह संभव है?
जवाब है नहीं।
जिन चित्रकारों ने इसके दूसरे भाग में काम किया है वो मेरी जानकारी के ही कॉमिक्स मंडली के मित्र हैं पर यह कहानी यह कॉमिक्स ऐसे रफ वर्क के लिए नहीं थी। आप लोग बुरा ना मानते हुए वो दिन याद करें जब हम राज कॉमिक्स में दुकानों पर जाकर अंदर के पन्ने पलट कर कॉमिक्स खरीदा करते थे कि जिनके चित्र अनुपम विनोद जी ने या मनु जी ने या बहुत बेहतर दिख रहे हों वही लेंगे बाकी को किनारे कर देंगे।
कहानी जो जानता हो वो जरूर ले सकता है, आप नए पाठकों को परिचित कराएं तो ले सकता है पर मुझे नहीं लगता अंदर के पन्ने पलट कर चित्र देख कर इसे लोग इस मूल्य पर लेना चाहेंगे। (जिनमें से एक फ्रेम का चित्र खींच कर लगा रहा हूँ )
जब पैसा कहीं भी किसी काम में इन्वॉल्व होता है वहां दुनिया भर की दिक्कतें जो आपने झेलीं या आपके सही कारण भी सिर्फ बहाने समझ आते हैं।
इसलिए साहिल भाई से यही निवेदन हैं कि कॉमिक्स बना रहे हैं अगर, तो चित्रों पे 70% से ज्यादा ध्यान दें और हो सके तो भाग दो की चित्रकारी पुनः करा के इसका कलेक्टर एडिशन लाएं।
हालांकि कुछ फ्रेम जो फिर भी बेहतर लगे उन्हें भी संलग्न कर रहा हूँ -
बाकी वो दो पन्ने ब्लैंक होना भी तकनीकी बहुत बड़ी खामी है जिसका आपकी टीम को ध्यान रखना चाहिए था पर बहुत ही खूबसूरती से आपदा को अवसर में आपने वो Drawing competition में बदला, वो निःसंदेह काबिलेतारीफ है।
अनुवाद -
English में एक आधा tense इधर का उधर दिखा तो था पर अपनी भी उसी लेवल की है इसलिए आराम से हजम हो गया।
हिंदी अनुवाद के लिए कुछ कहने से पहले प्रसंशा करना चाहूंगा अनुवादक की क्योंकि साहिल भाई के अंग्रेजी शब्द जो इतिहास से जुड़े हैं, बड़े ही जटिल होते हैं कई जगहों पर और क्योंकि अनुवादक का यह पहला काम था, उस हिसाब से कोशिश अच्छी की है बंदे ने अनुवाद करने की।
पर,
मात्राओं में किलो भर गलतियां है वो मिस प्रिंट है या अनुवाद की कमी से है ये तो नहीं बता सकता पर चित्र संलग्न कर रहा हूं आप खुद ही देखें।
अनुवादक को, ट्रोल मंडली की बातें सुनकर दूसरों पे कहीं भी तंज कसने से बेहतर अपने आने वाले काम में इसे फीडबैक समझ कर सुधार करना चाहिए क्योंकि इस इंडस्ट्री में ऐसे यूटूबर हैं ही नहीं जो रेगुलर हों और जिन की बातों पर उनके फॉलोवर मित्र भरोसा कर सकें।
हालांकि, कुछ एक जगहों पर मुझे यह प्रिंटिंग एडिटिंग की त्रुटि लगता है (चित्र देखें) -
सारांश -
मुझे पसंद आया -
दमदार कहानी और सारे पात्र
मुझे पसंद नहीं आया -
◾रफ वर्क जैसा चित्रांकन
◾हिंदी मात्राओं में गलती
◾पेज नंबर का ना होना
◾फ्रंट और बैक कवर के पीछे का खाली पेज जिसका बेहतरीन उपयोग ads या credit के लिए किया जा सकता था।
◾पेज बाइंडिंग क्वॉलिटी, क्योंकि दो बार पढ़ने के बाद ही पेज निकलने लगे हैं।
Indian ComicsTuber की सलाह -
साहिल शर्मा कृत प्रोफेसर अश्वत्थामा की कहानी बहुत ही उम्दा चित्र, बेजोड़ भाषा शैली और पाठकों के बेहिसाब प्यार के पूरी तरह योग्य है, पर दुर्भाग्य से इनमें से दो तो बिलकुल नहीं मिले इस कहानी को।
वो कौन से दो हैं आप खुद भी पढ़ के समझें।
बाकी रही पाठकों के प्यार की बात तो साहिल ने इस इंडस्ट्री में जब से कदम रखा है वो बहुत सौभाग्यशाली रहें हैं कि उन्हें पुराने और नए पाठकों से भर भर के सहयोग मिला है, इस प्यार के बदले सुझावों का आदर करें और अगले भाग में इससे बेहतर कर दिखाएं।
एक पुराने पाठक की शुभकामनाएं।
बाकी रही पाठकों के प्यार की बात तो साहिल ने इस इंडस्ट्री में जब से कदम रखा है वो बहुत सौभाग्यशाली रहें हैं कि उन्हें पुराने और नए पाठकों से भर भर के सहयोग मिला है, इस प्यार के बदले सुझावों का आदर करें और अगले भाग में इससे बेहतर कर दिखाएं।
एक पुराने पाठक की शुभकामनाएं।
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